आज मकबूलजी नैमीशारण्य गए हुए हैं, इसलिए पहली बार उनकी नाग दर्ज हो रही है। ब्लॉगर बंधु निराश न हों, सोमवार को वे फिर प्रकट हो जाएंगे। तब तक आप लोग मुझसे ही काम चलाइए।
अभी हमारे पुत्र करगिल होकर आए हैं। बहुत उत्साहित हैं, उनका कहना है कि करगिल में भारतीय सेना के जवानों को दिल बहुत ही बड़े हैं और जब भी कोई वहां पहुंचता है तो उनका वे तहेदिल से इस्तकबाल करते हैं। हमारे साहबजादे कार से करगिल पहुंचे थे। जवानों ने उन्हें अपनी तरफ से खाना खिलाया, एक मिलिट्री की गाड़ी में सोने की व्यवस्था कर दी,और बार-बार कहा कि हमें ऐसा लग रहा है जैसे कि हमारे भाई हमसे मिलने आए हैं। और हम आप लोगों को देखकर ऐसा महसूस कर रहे हैं-जैसे कि अपने परिवार में आ गए हैं,मोर्चे पर नहीं हैं। यह इन जवानों का बड़प्पन है,और ऐसे जिंदा दिल जवानों की शान में हमारे मुल्क के हर बाशिंदे का सीना फक्र से और सिर शान से ऊंचा हो जाता है। चलते वक्त कुछ जवान आपनी लॉरी से एस्कार्ट करते हुए बर्फ के रास्तों को चीरते हुए इन लोगों को महफूज ठिकाने तक छोड़ गए। सचमुच हमारे मुल्क के जवान हमारे देश की शान हैं...
जय-.जवान- जय किसान।
पं. सुरेश नीरव
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