मक़बूल साहब आप फानी बदायूनी के मुरीद हैं और जब –तब कुछ पढ़वाते रह्ते है मैं आज कुछ खास पढ़वाता हूं-
शेर की शादी में चूहे को देखकर हाथी ने पूछा - "भाई तुम इस शादी में किस हैसियत से आये हो?" चूहा बोला, " जिस शेर की शादी हो रही है, वह मेरा छोटा भाई है।" हाथी का मुँह खुला का खुला रह गया, बोला, "शेर और तुम्हारा छोटा भाई?" चूहा - "क्या कहूँ? शादी के पहले मैं भी शेर ही था।" यह तो हुई मजाक की बात, लेकिन पुराने समय से ही दुनिया का मोह छोड़कर, सच की तलाश में भटकनेवाले भगोड़ों को सही रास्ते पर लाने के लिए, शादी कराने का रिवाज़ हमारे समाज में रहा है। कई बिगड़ैल कुँवारों को इसी पद्धति से आज भी रास्ते पर लाया जाता है। हम सबने कई बार देखा-सुना है कि तथाकथित सत्य की तलाश में भटकने को तत्पर आत्मा, शादी के बाद पत्नी को प्रसन्न करने के लिए लगातार भटकती रहती है। कहते भी हैं कि "शादी वह संस्था है जिसमें मर्द अपनी 'बैचलर डिग्री' खो देता है और स्त्री 'मास्टर डिग्री' हासिल कर लेती है।"
प्रस्तुति –राजमणि
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