मकबूलजीआपने बशीर बद्र की बढ़िया गजलें दी हैं। बधाई। कंप्यूटर पहलवान पर आपने अच्छी कसरत कर दी। कंप्यूटर क्या आप ही पहलवान हो गए। बड़े-बड़े सूरमाओं के छक्के छुड़ा दिए।
राजमनीजीआपने सुरेश उपाध्याय के दोहे देकर मुझे याद दिला दिया कि कभी सुरेशजी के साथ हमने बहुत अच्छे दिन बिताए थे। मेरे बड़े प्यारे दोस्तों में वो एक हैं। और वे दोहे भी लिख रहे हैं यह मुझे नहीं पता था. आपने बताया तो समझ में आया। आपका शुक्रिया।
मेरी बैंक से एटीएम से किसी ने ३३हजार रुपए निकाल लिए हैं।पहले कार एक्सीडेंट हुआ उसमें नुकसान हुआ और अब बैठे-बिठाए यह चूना लग गया। रहिमन चुप हो बैठिए देख दिनन के फेर.. हम भी उसी अंदाज में हैं। एफ आई आर खरके आ रहा हूं। चलिए फिर मिलेंगे। आज की मुलाकात बस इतनी..
पं, सुरेश नीरव
No comments:
Post a Comment