लो मैं आ गया
आज राजझानी एक्सप्रेस से मुंबई की यात्रा संपन्न कर वापस दिल्ली आ गया हूं। बेहद रोचक और दिलचस्प यादगारें लेकर। कविसम्मेलन बहुत ही सार्थक रहा और जनता ने बेहद सराहा। मकबूलजी और मधु चतुर्वेदी ने भी खूब समां बांधा। जहां तक मेरा सवाल है मैं अपने मुंह से अपनी क्या तारीफ करू? बहरहाल आने के बाद पता चला कि गाजियाबाद में कांवरिए निकल रहे हैं तो मैंने हंसजी को याद किया। संकटमोचक मुद्रा में वह नई दिल्ली स्टेशन आ गए और मुझे अपने गेस्ट हाउस ले गए। वहां से तरो-ताज़ा होकर मैं कार्यालय आ गया और अपनी दिनचर्या में जुट गया हूं। अब रोज़ होगी मुलाकात। जय लोक मंगल।
पं. सुरेश नीरव
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