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Monday, July 13, 2009

जय लोक मंगल।

नीरवजी आपके संस्मरण सुनकर बहुत आनंद आया। बहुत अच्छा लगा कि हमारी टीम नें मुंबई में झंडे गाड़ दिए। मेरी दुआएं हैं कि आप के नेतृत्व में सभी कविगण ऐसे ही अपनी यश पताका फहराते रहें। और हम गर्व से कहें कि जय लोक मंगल।
भगवान सिंह हंस

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