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Monday, July 13, 2009

मैं अभी रास्ते में ही हूं। लगभग शाम तक दिल्ली पहुंचूगी । रेल में एक सज्जन के मोबाइल कंप्यूटर से नेट सुविधा उठाकर अपनी हाजरी दर्ज करा रही हूं। मुंबई का आयोजन अत्यंत सफल रहा और सभी कवियों ने अपनी दमदार प्रस्तुति से जो जलवा बिखेरा वह मुंबईवालों को बहुत दिनों तक याद रहेगा और इस का श्रेय पं. सुरेश नीरवजी आपको ही जाता है। आप में अब एक दार्शनिक प्कट हो रहा है। यह एक शुभ सूचक घटना है। हमें अपनी टीम भावना बरकरार रखनी है। सभी दोस्तों को सलाम।..
मधु चतुर्वेदी

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