कांवर पर बहुत से दोस्तों के विचार देखने के बाद,गुनने के बाद मुझे लगा कि लगभग शभी एक-सा ही सोचते हैं मगर ङमारे एक दोस्त रजनी कांत राजू ने एक दूसरा रुख भी तस्वीर का रखा है जिसके मुताबिक यदि हज यात्रियों से आप को कोई तकलीफ नहीं है, यचि गुरुओं की शोभा यात्रा से आप को कोई परे शानी नहीं है तो फिर इन कांवरियों से आप को क्यों परोशानी क्यों होती है? और इन कांवरियों को आप महज ठलुआ न समझें इनका बाकायदा पुलिस वेरीफिकोशन होता है, और इन्हों आई कार्ड दिया जाता है। ऐररा-गैरा आदमी कांवरिया नहीं होता है। ये सब शंकर भोले केभक्त हैंऔर हिंदुत्व के जीते-जागते राजदूत। यह तस्वीर का दूसरा रुख है। इसे भी मुद्दे में शामिल किया जाना चाहिए।
एक टुकड़ा पेश है--
एक हमारे मित्र
सदभावनाओं के चित्र
जरूरत से ज्यादा
बुरा मान गए
गुनाह ये था कि
हम उनकी असलीयत पहचान गए।
पं. सुरेश नीरव
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