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Sunday, July 19, 2009

काश कावड़ियों को कोई दिशा दे

कई दिनों से कंप्युटर महराज की नाराजगी के कारण आप सब से दूर हो गया था । खैर आज बन्दा हाज़िर है ... आजकल कावड़ियों के कारण सभी कुनमुना रहे है... ब्लॉग पर भी कुछ विचार देखे , लेकिन जो मैं देख रहा हूँ वह कोई नही देख रहा है । काश हमारी योजना बनाने वाले इस युवा शक्ति को पहचाने जो शारीरिक श्रम , सेवा भाव के साथ साथ निष्ठा पूर्वक लगे हुए हैं । यदि देश के कर्णधार इन भोले के भालों से पोधा रोपर्ण , समाज की कुरीतियों के ख़िलाफ़ कोई आन्दोलन चलवाते तो इनकी समाज में अलग ही छबी होती और यह सिर्फ़ ट्रैफिक जाम के लिए ही नही जाने जाते।
मेरी राय यदि सही कानो और आखो तक पहुँची तो शायद अगले सावन -भादों में भोले, भाले न लग कर सब को भले- भले लगने लगे....
राजमणि

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