आज ब्लॉग पर राजमणीजी ने जो समीर साहब की कविता का टयन किया है वह बहुत बढ़िया है। मकबूलजी भी अपने खजाने से खूब निकालकर लगते हैं। फना साहब की ग़ज़ल उम्दा है। नीरवजी की गजल बहुत तेजाबी है। मिनिस्टर-सा घिनौना प्रतीक चोंकानेवाला और टौंकानेवाला है। पर है बढ़िया। हंसजी के माध्यम से कार्यक्रम की जानकारी भी मिली। सभी बंधुओं को जय लोक मंगल।
मधु चतुर्वेदी
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