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Friday, July 24, 2009

आप मुस्तहक हैं।

मकबूलजी गजल बहुत बढ़िया दी है आपने। और नीरवजी आपकी गजल को तेवरी गजल कहा जाएगा क्योंकि इसमें गजल की नजाकत से ज्यादा तंज के तेवर ज्यादा हैं। नई ज़मीन बनाने के लिए मुबारकबाद के आप मुस्तहक हैं।
मधु चतुर्वेदी

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