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Thursday, July 16, 2009

हुजूम यादों के कितने तू संग ले आई
हैं कितनी चाहतें तुझमें बता ऐ तनहाई
महकते फूलों में शोहरत घुली है मौसम की
वफा में इस्क को कहते हैं रुसवाई
मेरा वुजूद भी कब मेरा अब वुजूद रहा
घटाएं कैसी तू आंखों में भर लाई

हजार सपने निछावर हैं उनकी आंखों पर
हैं उतनीं बावफा जितनी हैं उनमें गहराई
अजब करह की शिकायत मिली है लोगों सो
कसक दिलों की बढ़ा देती है ये पुरवाई
सजी हैं आज भी सुर-ताल में तेरी यादें
लरज के बजने लगे दिल की जिनसे शहनाई।
पं. सुरेश नीरव
सर्वभाषा संस्कृति समन्वय समिति
पुस्तक विमोचन समारोह
सर्वभाषा संस्कृति समन्वय समिति के तत्वावधान में आगामी रविवार को इंडिया इंटरनेशनल में राजकुमार सचान होरी की दोहों की पुस्तक का लोकार्पण समारोह आयोजित किया जा रहा है। लोकार्पण सुप्रसिद्ध साहित्यकार श्री रत्नाकर पांडे करेंगे। संचालन पं. सुरेश नीरव करेंगे।

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