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Friday, July 31, 2009

जो अच्छा दिखता है,वही अच्छा लिखता है

सुरेश नीरवजी आपने छुट्टी की घुट्टी सभी को पिला दी अगर लोग आप से मुतमइन हो गए तो पूरा मुल्क ही छुट्टी पर चला जाएगा। भाई जान ऐसा न करो और भी गम हैं ज़माने में मुहब्बत के सिवा...खैर आपकी नसीहत लेकर अब मैं भी छुट्टी पर जा रहा हूं...अगली मुलाकात छुट्टी के बाद...हां चलते-चलते आपने मधुजी की जो कविता दी है,वह वाकई बेहतरीन है। जब कविता इतनी अच्छी है तो कवयित्रीजी भी अच्छी हीं होंगी,क्योंकि जो अच्छा दिखता है,वही अच्छा लिखता है मेरे उन्हें तमाम सलाम..
चांडाल

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