नीरव जी,
आपकी छुट्टी की फिलासफी पढ़ी । साथ ही आपका चमचमाचा, खिलखिलाता-मस्कराता और कुछ बताता रंगीन फोटो भी देखा । बधाई, आप इसी तरह समाज को साहित्य अमृत से लबरेज करते रहे, सह कामना है । चाहे छुट्टी लेकर या बिना छुट्टी लिए भी ।
प्रदीप कुमार शुक्ला
विशेष निवेदन है आप अपनी कोई हास्य
रस पगी कविता या चुटकुला ब्लाग पर दीजिए ।
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