Search This Blog

Friday, August 28, 2009

भाई रूपेशजी की मूंछें

भाई रूपेशजी की मूंछें
बंबइया बाबू भाई रूपेशजी की मूंछें देख कर नत्थू की याद आ गई। मूंछें हों तो अब कहना पड़ेगा डा. रुपेशजी जैसी हों। लोक मंगल के जिस भी भाई का नया मकान बने वह टोने-टोटके के रूप में इसका इस्तेमाल कर सकता है। हम रूपेश के इस अतुलनीय योगदान के सपरिवार आभारी रहेंगे।
पं. सुरेश नीरव

No comments: