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Friday, September 4, 2009

दोस्त जीवन में प्यारे वही है सगा

राजमणिजी आप ने आज बहुत शानदार ढंग से हस्ती मल हस्ती की एक साथ तीन ग़ज़लें पढ़वाकर बहुत ही पुण्य का काम किया है। शुक्रिया।
मकबूलजी आप ने फिर शानदार ग़जल से रूबरू कराया? आपको मिली प्रशंसा इस बात का सबूत है कि लोग आपको खूब पढ़ रहे हैं।
एक ग़ज़ल आज फिर पेश कर रहा हूं-
दोस्त जीवन में प्यारे वही है सगा
वक्त पड़ते ही जो फौरन दे दे दगा
बाद सोने के तेरे रहे जो जगा
ऐसा मेहमा को जल्दी तू घर से भगा
भाग जाए न ले के वो कपड़े तेरे
झट से बंदर को जा कर तू छत से भगा
कच्ची इमली सड़क से उछलने लगी
एक लड़की को देखा ते ऐसा लगा
तेरे पाकिट को काटा कोई ग़म नहीं
नंग वो हो गया तेरा रुतवा बढ़ा
तेरी चादर थी औरों से ज्यादा सफेद
इसलिए दाग दामन पे तेरे लगा
दोस्त के रूप में केंचुए ही मिले
सिंह राशि के तू नीरव तेवर दिखा।
पं. सुरेश नीरव

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