यह मंच आपका है आप ही इसकी गरिमा को बनाएंगे। किसी भी विवाद के जिम्मेदार भी आप होंगे, हम नहीं। बहरहाल विवाद की नौबत आने ही न दैं। अपने विचारों को ईमानदारी से आप अपने अपनों तक पहुंचाए और मस्त हो जाएं हमारी यही मंगल कामनाएं...
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Sunday, January 17, 2010
किताबों की दुनिया
सभी बंधुओं को काफी दिनों की देरी के बाद मेरा प्यार, स्नेह और सम्मान भरा नमस्कार स्वीकार हो।
दोस्तो इस इतने बड़े गैप का कारण कंप्यूटर की गड़बड़ियां और अन्य व्यस्तताएं रहीं, अतः आप समझदार हैं, मुझे उम्मीद है कि आप माइंड नहीं करेंगे।
दोस्तो सबसे पहले मेरी ओर से सभी को नए साल की बहुत शुभकामनाएं, जय लोक मंगल ।
आज ब्लाग के सभी पोस्ट और गतिविधियां देखीं अच्छा भी लगा और बुरा भी । ब्लाग में सभी बंधु बहुत ही तल्लीनता से योगदान कर रहे हैं यह अछा है और कुछ कोटो ज देखकर बुरा भी लगा और दुख भी हुआ ।
ब्लाग के मुखिया भाई पं. नीरव जी आपको डरावना फोटो वाकई अभी तक के फोटो ग्राफ्स से हटकर है लेकिन पं. जी आप डरावने नहीं बल्कि हँसते-हँसाते ही अच्छे लगते हैं तो मेरा निवेदन है कि संभव हो तो एक जोर से हँसता हुआ फोटो भी जरा खिंचवाकर डाल दीजिएगा। क्योंकि समाज में आपकी छवि हँसते-हँसाते लोटपोट कराते, आंखों से पानी निकलवा देने की रही है तो...हो जाए।
भाई अनिल जी, पं. नीरव जी, हँस जी, अरविन्द पथिक जी और दूसरे साथी और नए से नया कविता, किस्सा, धटना आदि लगाता दे रहे हैं सभी को मेरी बधाइयां इसी तरह लगे रहें और ब्लाग को आगे से आगे ले जाने में पं. नीरव जी को रचनात्मक सहयोग करें ।
00 पं. नीरव जी आजकल हजामत- की दूकान कुछ ठंडी सी हो गई लगी।
00 भाई अनिल गुप्ता आपकी वेदना तो बहुत ही पीछे रह गईं, जरा देखें...।
00 हंस जी कुछ नया भी देते रहें ।
00 अरविंद भाई आपका वह क्रांतिकारी कविताओं का जरा जलवा दिखाइए।
एक सुझाव और है-नीरव जी, कि अगर हो सके तो हम सभी कुछ नया देने की कोशिश करें बजाय प्रस्तुति के । एसा मुझे कुछ लोगों का सुझाव आया था।
आइए आज बात करते हैं फिर किताबों की दुनिया की-
बंधुओ, शायद आप को पता ही होगा कि इस महीने यानी जनवरी-2010, में नई दिल्ली के प्रगति मैदान में विश्व पुस्तक मेले का आयोजन होने जा रहा है । जिसके आयोजक हैं नेशनल बुक ट्रस्ट,नई दिल्ली। देश-विदेश के काफी प्रकाशक विभिन्न पुस्तकों के साथ इस मेले में शिरकत करेंगे। अगर आप पुस्तक प्रेमी हैं और नया क्या आ रहा है किताबों की दुनिया में, तो जानने के लिए अगर हो पाए या आप अपने व्यस्त कार्यक्रम में से कुछ समय निकाल सकें तो देखिएगा।
पत्रिका संसार
बंधुओ, किताबों के साथ-साथ जगह-जगह से निकल रही पत्रिकाओं का महत्व भी समाज में कुछ कम नहीं । एसी ही पत्रिकाओं में आज बात करना चाहता हूं एक पत्रिका की -
पत्रिका-हम सब साथ-साथ
अवधि-द्विमासिक, पृष्ठ-36
मूल्य-120 रु. (सालाना)
संपादकः शशि श्रवास्तव, किशोर श्रीवास्तव
पता-916, बाबा फरीदपुरी, पश्चिमी पटेल नगर, नई दिल्ली-110008
फोन-011-24568464,
ईमेल-hsss2004@indiatimes.com
पत्रिका का स्वरूप साहित्यिक-सामाजिक है और पिछले 8 साल से लगार छप रही है । इसमें नए पुराने लोगों को लिखने छपने का भरपूर मौका है तो पाछकों को पढ़ने को नई से नई सामग्री-कहानिया, कविताएं, लघु कथाएं, समीक्षां, नई जानकारियां रोचक सामग्री आदि का कहीं अभाव नहीं दीखता । अगर यह कहा जाए कि ये गागर में सागर है तो कोई अतिश्योक्ति न होगी।
हाल ही छपा अंक यानी नवंबर-दिसंबर अंक स्त्री-पुरुष संबंधों पर केंद्रित अंक है, जो अपने में भरपूर सामग्री से लबरेज है।
-प्रदीप शुक्लादिनांक-17-01-10, सायं-7.30
नोट- बंधुओ अगर आपके पास कोई पत्रिका, किताब या समाचार-पत्र की जानकारी हो और उसके बारे में पाठकों को अवगत कराना चाहते हैं तो कृपया मुझे ईमेल कर सकते हैं या फिर फोन द्वारा बता सकते हैं या डाक से भेज सकते हैं।
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