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Saturday, January 23, 2010

खूब निभेगी हम दोनों में...

खूब निभेगी हम दोनों में
मेरे जैसा तू भी है...
थोडा झूठा मै भी ठहरा
थोडा झूठा तू भी है...

जंग यारा कि हार ही जाना
बेहतर है अब लड़ने से
मैं भी हूँ टूटा - टूटा सा
बिखरा-बिखरा तू भी है ...

एक मुद्दत से फासला कायम
सिर्फ हमारे बीच ही क्यों
सबसे मिलता रहता हूँ मैं
सबसे मिलता तू भी है

अपने-अपने दिल के अन्दर
सिमटे हुए हैं हम दोनों
गुमसुम-गुमसुम मैं भी हूँ
खोया - खोया तू भी है...

प्रस्तुति: अनिल (२३.०१.२०१० सायं ४.४५ बजे )

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