Search This Blog

Monday, January 18, 2010

जसवंत की किताब सहित कई रहे सुर्खियों में

बीते बरस किताबों के बाजार में जिन्ना का जिन्न हावी रहा और भाजपा के वरिष्ठ नेता जसवंत सिंह को इसके चलते पार्टी तक से निष्कासित कर दिया गया। शायद यह पहला मौका था जब किसी कद्दावर राजनेता को एक किताब के चलते पार्टी ने बाहर का रास्ता दिखाया हो।
जसवंत सिंह की किताब जिन्ना : इंडिया, पार्टिशन, इंडिपेंडेंस का अंग्रेजी संस्करण रूपा एंड कंपनी ने छापा और इसकी करीब 50 हजार प्रतियां बिक चुकी हैं। इस किताब का हिन्दी संस्करण जिन्ना : भारत विभाजन के आइने में नाम से राजपाल एंड संस ने छापा और अब तक इसकी 20 हजार प्रतियां बिक चुकी हैं।
इस किताब की न केवल देश बल्कि विदेशों में खासी चर्चा रही और पाकिस्तान में इस किताब की लोगों ने जमकर तारीफ भी की। बाद में इसके प्रकाशक रूपा एंड कंपनी ने इसका उर्दू संस्करण भी प्रकाशित किया। केरल की सिस्टर जेसम द्वारा मूल रूप से मलयालम में लिखी गई किताब आमेन: एक नन की आत्मकथा भी साल भर खासी चर्चित रही। हंस के संपादक राजेन्द्र यादव ने कहा कि बीता साल हिन्दी साहित्य के लिए अच्छा नहीं रहा। कोई नई बात उभर कर सामने नहीं आई और सृजक भविष्यहीन साहित्य का सृजन करते रहे। हालांकि, उन्होंने कहा कि कुछ अच्छी कहानियां जरूर सामने आई और कहानीकारों ने समय को पकडने की कोशिश की। कुछ वैचारिक सामग्री अवश्य देखने को मिली और रचनाकारों ने दूसरी चीजों के प्रति भी रूचि दिखाई।
नया ज्ञानोदय के संपादक रवीन्द्र कालिया ने कहा कि देखा जाए तो बीता साल उपन्यास वर्ष रहा, जिसमें सामान्य से अधिक लिखा गया। उनका मानना है कि वर्ष 2009 में कहानी के क्षेत्र में नई पीढी अधिक सक्रिय रही और बेहतर साहित्य का सृजन किया गया। बीते साल तीसरा सप्तक के कवि कुंवर नारायण को वर्ष 2005 के लिए और 2006 के लिए संस्कृत के डा. सत्यव्रत शास्त्री एवं कोंकणी के रवीन्द्र केलकर को ज्ञानपीठ पुरस्कार प्रदान किया गया।
41वें ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित कुंवरजी की कृति आत्मजई भारतीय साहित्य की अमूल्य धरोहर है और वाजश्रवा के बहाने तेज रफ्तार जिंदगी में पाठक को नई दृष्टि प्रदान करती है। डा. सत्यव्रत शास्त्री संस्कृत के पहले ऐसे रचनाकार बन गए जिन्हें भारतीय साहित्य का शीर्ष सम्मान ज्ञानपीठ पुरस्कार मिला।
इसके अलावा केके बिरला फाउंडेशन ने असमिया साहित्यकार डा. लक्ष्मीनंदन बोरा को कायाकल्प के लिए 2008 के सरस्वती सम्मान से सम्मानित किया, वह यह सम्मान पाने वाले पहले असमिया साहित्यकार हैं। वहीं, मन्नू भंडारी को उनकी 2007 में प्रकाशित आत्मकथा एक कहानी यह भी के लिए 2008 का व्यास सम्मान प्रदान किया। पहली दफा आत्मकथा को व्यास सम्मान दिया गया। हिन्दी कवि कैलाश वाजपेई के काव्य संग्रह हवा में हस्ताक्षर को वर्ष 2009 का प्रतिष्ठित साहित्य अकादमी पुरस्कार प्रदान किया गया।
हिन्दी साहित्य के प्रति भले ही लोगों की बेरुखी नजर आती हो, लेकिन प्रेम रस की अभी भी साहित्य में मांग है और इसी के चलते नया ज्ञानोदय के प्रेम महाविशेषांक के पांच अंक निकाले गए। प्रेम महाविशेषांक के पांचों अंकों को देखा जाए तो गालिब से लेकर यश मालवीय तक की शायरी की खुशबू बिखरी हुई है और जयशंकर प्रसाद से लेकर प्रियवंद तक की कहानियों के रंग भी इसमें देखने को मिले। जुलाई में लघु पत्रिका नया ज्ञानोदय ने प्रेम महाविशेषांक का पहला अंक निकाला। पाठकों की मांग के बाद इसका पुनर्मुद्रण किया गया और इसकी श्रृंखला निकाली गई।
इंफोसिस के पूर्व अध्यक्ष नंदन निलेकनी की किताब इमेजिनिंग इंडिया ने इस वर्ष कथा श्रेणी में इंडियाप्लाजा गोल्डन क्वील अवार्ड जीता। अमिताव घोष की किताब सी ऑफ पॉपीज को बेंगलुरू में कल्प श्रेणी की बेहतरीन किताब का जूरी पुरस्कार मिला।

सौजन्यःदैनिक जागरण

No comments: