एक लंबे प्रवास के बाद आज जब ब्लॉग खोला तो राजेन्द्र अवस्थीजी के हेहांत का दुःखद समाचार पढ़ा। बड़ा धक्का लगा। अवस्थीजी से काफी निकटता रही थी मेरी। नीरवजी ने जब से मिलाया तब से ही लगातार संपर्क बना रहा। वह मेरी पुस्तक का विमोचन करने गजरौला भी आए थे। इस अवसर पर उन्होंने तमाम संस्मरण भी सुनाए थे। बाद में कवि सम्मेलन भी हुआ था जिसका संचालन पं. सुरेश नीरव ने किया था। आज यह यकीन नहीं हो रहा कि अवस्थीजी हमारे बीच नहीं हैं। मैं तहेदिल से उनके प्रति अपनी श्रद्धाजंलि अर्पित करती हूं।
डॉ.मधु चतुर्वेदी
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