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Thursday, January 21, 2010

...मलाल है शिकवा नहीं मुझे

एक शख्स पास रह के समझा नहीं मुझे
इस बात का मलाल है शिकवा नहीं मुझे

मैं उस को बेवफाई का इलज़ाम कैसे दूँ
उस ने तो इब्तेदा से ही चाहा नहीं मुझे

पत्थर समझ कर पांव से ठोकर लगा दिया

अफ़सोस तेरी आँख ने परखा नहीं मुझे

क्या उम्मीदें बांध कर आया था सामने

उस ने तो आँख भर के देखा नहीं मुझे

प्रस्तुति: अनिल (२२.०१.२०१० अप १२.३० बजे )

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