Search This Blog

Tuesday, August 17, 2010

सचमुच का एक साहित्यिक और स्तरीय कार्यक्रम सुनने को मिला।



-गांधीशांति प्रतिष्ठान,आईटीओ,नई दिल्ली में राजधानी के इतने सारे साहित्यकार इकच्ठे मैंने कभी नहीं देखे। जितने कि पंडित सुरेश नीरव की ताजा छपी पुस्तक सर्वतोष प्रश्नोत्तर शतक के लोकार्पण के मौके पर मैंने देखे। मंच भरापूरा था- डाक्टर रामगोपाल चतुर्वेदी, पद्मभूषण डाक्टर विंदेश्वर पाठक,पंडित सुरेश नीरव,ओंकारेश्वर पांडेय, डाक्टर अमरनाथ अमर और प्रोफेसर बलदेव वंशी। संयोजक रजनीकांत राजू ने जहां संस्था की ओर से अतिथियों का स्वागत किया वहीं बलदेव वंशी ने आधार आलेख पढ़ा। जो थोड़ा लंबा हो गया।यदि छोटा होता तो इसकी रोचकता बढ़ जाती। इसके बाद संपादकीय वक्तव्य के जरिए पंडित सुरेश नीरव ने निशांत और केतु शब्दों का जो अर्थविश्लेषण किया वह उनकी ही क्षमता थी। माननीय डाक्टर विंदेश्वर पाठक ने साहित्यकारों को सम्मानपूर्वक पुरस्कृत करने के लिए तमाम सुझाव देते हुए एक नई संस्था विक्रमादित्य के गठन की घोषणा की और इसके लिए श्री नीरव को योजना बनाने के लिए आग्रह किया।औंकारेश्वर पांडेय ने बड़ी बुलंद आवाज में लोकार्पित पुस्तक की प्रासंगिकता को बड़े कौशलपूर्वक ढंग से रेखांकित किया। अमर नाथ अमर ने समकालीन चिंता और चिंतन के परिवेश में ऐसी पुस्तकों की आवश्यकता पर बल दिया। डाक्टर रामगोपाल चतुर्वेदी ने प्रश्नोत्तरशैली के महत्व को बताते हुए गीता,कठोपनिषद और छांदोग्यपनिषद की चर्चा की। और साहित्यिक संदर्भों में ऐसी पुस्तकों के आने को एक शुभ परंपरा की शुरुआत बताया। और इसकी शुरुआत के लिए पंडित सुरेश नीरव को बधाई दी। कई दिनों बाद सचमुच का एक साहित्यिक और स्तरीय कार्यक्रम सुनने को मिला। तबीयत खुश हो गई। ऐसे आयोजनों में जाने से एक मानसिक खुराक मिलती है जिसकी कि हमें हमेशा तलाश रहती है।
डाक्टर मधु चतुर्वेदी

No comments: