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Thursday, September 9, 2010

मौसम है बेईमान, खुदा खैर करे

मौसम है बेईमान, ख़ुदा ख़ैर करे
साक़ी भी मेहरबान, ख़ुदा ख़ैर करे।

जितनी भी तितलियाँ हैं वो छाते में छुपी हैं
बारिश से परेशान, ख़ुदा ख़ैर करे।

मेकप धुला तो सामने जामुन का रंग था
सब हो गए हैरान, ख़ुदा ख़ैर करे।

बारिश ने उनके चेहरे से घूंघट उठा दिया
ख़तरा है पहलवान, ख़ुदा ख़ैर करे।

सीमेंट कौन खा गया, बस रेत रेत थी
सब ढह गए मकान, ख़ुदा ख़ैर करे।
मृगेन्द्र मक़बूल

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