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Friday, September 10, 2010

पंचवटी नासिक नें नहीं है



दंडकारण्य के संबंध में आपने जानकारी देते हुए बताया है कि पंचवटी दंडकारण्य में थी और शूर्पणखा का प्रसंग भी दिया है-


ऋषियों-मुनियों ने श्रीराम को बताया कि पंचवटी यहां सुंदर-मनोरम स्थान है। आप यहां निवास कर हम सभी को अनुगृहीत करें। साथ-ही-साथ गौतम ऋषि के उग्र श्राप से शिला बनीं अहल्या का भी उद्धार करें-
हे परम प्रभु मनोहर ढाऊं पावन पंचवटी तेहि नाऊं
दंडक बन पुनीत प्रभु कर हूं उग्र श्राप मुनिवर कर हर हूं।
और ऋषियों का आग्रह मानकर राम,लक्षमण और सीता ने पंचवटी को अपना आश्रय-स्थल बना लिया। यह वही पंचवटी है जहां राम के अलौकिक सौंदर्य को देखकर लंकेश दशानन की बहन रक्षसुंदरी शूर्पणखा ने आसक्त होकर उनसे प्रणय निवेदन किया था कि आप से पहले किसी और पुरुष ने मुझे प्रभावित नहीं किया इसलिए अभी तक अविवाहित हूं।


इससे जो लोग यह कहते हैं कि पंचवटी नासिक में थी इस गलतफहमी से लोगों को मुक्ति मिलेगी। एक सही तथ्य की स्थापना हेतु आपको बधाई।


डाक्टर मधु चतर्वेदी

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