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Saturday, October 9, 2010

औंकार गुलशन की ग़ज़ल

दामन को आसुओं से भिगोया नहीं गया
जब आए वो करीब तो रोया नहीं गया
बेइन्तहा शराब भी पीकर के देख ली
ग़म को शराब में भी डुबोया नहीं गया
जिस पर तुम्हारी याद के खिलते हसीम फूल
आंगन में वो गुलाब बी बोया नहीं गया
रातों को जाग-जाग के कहते रहे ग़ज़ल
तुझसे बिछुड़ के हमसे तो सोया नहीं गया
रुसवाई ने छोड़ जो मेरी जिंदगी पे दाग
गुलशन तमाम उम्र वो धोया नहीं गया।
ओंकार गुलशन (मेरठ)
मोबाइलः9997355311
प्रस्तुतिःडाक्टर मधु चतुर्वेदी
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