हम अकेले ही चले थे कारबां बनता गया..
पंडित सुरेश नीरवजी का ये कमाल है कि इन्होंने एक-से-बढ़कर-एक हीरे अपने खजाने में संजो लिए हैं और ये सिलसिला बदस्तूर जारी है। और जारी ही रहेगा ये हमारा यकीन है। मंजू श्रषि का हम लोगों को स्वागत करना चाहिए मेरे लिए यह व्यक्तिगत प्रसन्नता का कारण भी है क्योंकि मंजू कविताएं लिखती हैं। शब्दों का सफर अब और शानदार होगा..
डाक्टर मधु चतुर्वेदी
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