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Friday, October 15, 2010

नज़र लगेगी जो रुखसार पे न तिल होगा

डा.प्रेमलता नीलम
ग़ज़ल-
आईने सा जो साफ दिल होगा
टूट जाएगा बचाना बड़ा मुश्किल होगा

यूं न चिलमन उठाइए सरे महफिल जानां
नज़र लगेगी जो रुखसार पे न तिल होगा

इक-न-इक दाग जरूरी है ज़िंदगी के लिए
पर न सोचा था मेरा अपना संगदिल होगा

तब तो डूबी नहीं मझधार में थी जब कश्ती
क्या पता था डूबना सरे साहिल होगा

अब अगर शिकवा करें भी तो नीलम कैसे
अपना माझी ही क्या समझे थे कातिल होगा।

डाक्टर प्रेमलता नीलम (दमोह)
मो. 09425406017
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