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| डा.जयजयराम आनंद |
तब मौसम रूठा जाय रे
जी हाँ ,भादो से कह देना
मत तुम मेघों को सह देना
सावन की मजबूरी थी
मानसून से दूरी थी
दिया हवाओं ने धोखा
तैय्यारी अभी अधूरी थी
समझा समझा कर कह देना
वादा करके मत चल देना
ताल तलैया सरिता सूखे
करे प्रदूषण मनमानी
पग पग पर पानी के धोखे
खोटीखरी खबर सुन लेना
सोच समझ कर उत्तर देना
हाथ पसारेखेत खड़े हैं
बीजों के अरमान बड़े हैं
कर देंना तरबतर सभी को
होरी धनिया कर जोड़े हैं
जन गन मन भाषा पढ़ लेना
कजरी की लय स्वर गुण लेना।
चेतकपुल के नीचे,भोपाल
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