Search This Blog

Friday, October 8, 2010

धन्यवाद हंस जी

यह मेरा सौभाग्य था जो भाई भगवान सिंह हंस जी ने मेरे कार्यालय में आकर न केवल प्रदर्शनी देखी बल्कि ब्लॉग तक उस की रिपोर्ट पहुचाई । इसके लिए मैं उनका हार्दिक धन्यवाद ज्ञापित करता हूँ और भविष्य में भी लगाने वाली प्रदर्शनियों में आकर देखने के लिए निमन्त्रन देता हूँ ।
भगवान सिंह जी जो भरत काव्य तैयार कर रहे हैं वह निसंदेह अनूठा है और आने वाले समय में लोग उनकी इस रचना पर नाज़ करेंगे ।
मैं नीरव जी ,प्रकाश पंडित जी और अरविन्द पथिक का भी आभारी हूँ जिन्होंने अपने व्यस्त कार्यक्रम में कुछ समय मेरी प्रदर्शनी में बिताया
लोक मंगल की दिन दूनी और रात चौगनी प्रगति देख कर अत्यंत खुशी होती हैं ।

राजमणि

No comments: