आप यह तस्वीर देखकर बड़े आह्लादित होंगे कि यह तस्वीर किसकी है और किसके साथ है। इन दोनों का ही बड़ा गहन एवं गंभीर विचार-विमर्श
है। दोनों ही हस्तियाँ अपनी वय से परिपक्व हैं। एक जो वृद्ध हैं उनका कुर्ता सफ़ेद है, पगड़ी है और तो और उनकी मूंछें भी सफ़ेद हैं, इसका मतलब है कि वे समाज में अपना एक वरिष्ठ स्थान रखते हैं। वे कोई गंभीर बात श्री हीरालाल पाण्डेयजी से कह रहे हैं। हीरा लाल पांडेयजी उनकी बात को बहुत ही ध्यान से सुन रहे हैं। हीरा लाल पांडेयजी की मुखमुद्रा सहज स्वीकृति का आभास कर रही है। यही तो उनकी मनुष्यता का प्रतीक है। हीरालाल पांडेयजी समाज के बहुत ही सुलझे हुए व्यक्ति हैं। वे एक भारीभरकम व्यक्ति हैं। उनके सहज सरल स्वभाव में एक आत्मीय दर्शन की अनुभूति होती है। हीरालाल पाण्डेयजी बहुत बड़े आदमी हैं और उनको समाज का बड़ा तजुर्वा है। उनका यह एक विचार-विमर्श नहीं बल्कि विचारों का समुद्र-मंथन है। इनके इस समुद्र-मंथन से निश्चय ही एक अमृतमयी धारा निकलेगी जो जन कल्यानप्रद होगी। मैं पांडेयजी को बहुत-बहुत बधाई देता हूँ। प्रणाम। जय लोक मंगल।
भगवान सिंह हंस
है। दोनों ही हस्तियाँ अपनी वय से परिपक्व हैं। एक जो वृद्ध हैं उनका कुर्ता सफ़ेद है, पगड़ी है और तो और उनकी मूंछें भी सफ़ेद हैं, इसका मतलब है कि वे समाज में अपना एक वरिष्ठ स्थान रखते हैं। वे कोई गंभीर बात श्री हीरालाल पाण्डेयजी से कह रहे हैं। हीरा लाल पांडेयजी उनकी बात को बहुत ही ध्यान से सुन रहे हैं। हीरा लाल पांडेयजी की मुखमुद्रा सहज स्वीकृति का आभास कर रही है। यही तो उनकी मनुष्यता का प्रतीक है। हीरालाल पांडेयजी समाज के बहुत ही सुलझे हुए व्यक्ति हैं। वे एक भारीभरकम व्यक्ति हैं। उनके सहज सरल स्वभाव में एक आत्मीय दर्शन की अनुभूति होती है। हीरालाल पाण्डेयजी बहुत बड़े आदमी हैं और उनको समाज का बड़ा तजुर्वा है। उनका यह एक विचार-विमर्श नहीं बल्कि विचारों का समुद्र-मंथन है। इनके इस समुद्र-मंथन से निश्चय ही एक अमृतमयी धारा निकलेगी जो जन कल्यानप्रद होगी। मैं पांडेयजी को बहुत-बहुत बधाई देता हूँ। प्रणाम। जय लोक मंगल।
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