यह मंच आपका है आप ही इसकी गरिमा को बनाएंगे। किसी भी विवाद के जिम्मेदार भी आप होंगे, हम नहीं। बहरहाल विवाद की नौबत आने ही न दैं। अपने विचारों को ईमानदारी से आप अपने अपनों तक पहुंचाए और मस्त हो जाएं हमारी यही मंगल कामनाएं...
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Saturday, October 9, 2010
गीत और गजलों से महकता जय लोकमंगल
आदरणीय नीरवजी को बधाई देता हूँ इतने अच्छे गीत के लिए। गीत बहुत पसंद आया। निम्न पंक्ति देखिए- अश्रु बन ढ़ुल-ढ़ुल गया , अनुभूतियों का रंग तरल। डा० प्रेमलता नीलम को भी बधाई देता हूँ इतनी लाजबाव ग़ज़ल के लिए। गजल पढ़कर मन प्रसन्न हो गया।
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