पत्नियां स्लीपिंग पिल्स हो रही हैं संबंध में दो दिग्गजों के विचार पढ़े। दिमाग को झकझोरनेवाले तथ्य दोनों ने ही दिए हैं। एक तरफ योगीजी हैं तो दूसरी तरफ पंडितजी हैं। मगर इत्तफाक ये है कि स्त्री के संबंध में जो विचार रखे गये हैं वह दोनों ही पुरुष वर्ग से हैं। और उनका सोच सिर्फ पुरुष वर्ग का ही प्रतिनिधित्व करता है नारी के भाव संसार का प्रतिनिधित्व नहीं करता। जो सीरियल भी बनाए और दिखाए जा रहे हैं उन्हें पुरुषों ने ही लिखा है। अच्चा हो इस विषय पर महिलाओं की भागीदारी भी तय की जाए। और उनके विचार भी लिए जाएं। हां यह तय है कि अब महिलाओं से (पत्नियों से) जोर-जबरदस्ती करने की बात कहना प्रसंगिक नहीं रहा है। फिर भी विचार मंथन के मुद्दे इस चरचा से उभऱते हैं। और योगीजी तथा पंडितजी के तथ्यों को यूं ही खारिज नहीं किया जा सकता है।
डाक्टर मधु चतुर्वेदी
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