![]() |
| प्रशांत योगी बने जयलोकमंगल के सदस्य |
00000000000000000000000000000000000000000000000000000000000000000000000000000000000
![]() |
| अरविंद पथिक |
एक नए हीरे की आमद
जयलोकमंगल में प्रशांत योगीजी का स्वागत है। उनके विचार पढ़ता रहा हूं। आध्यात्मिक क्रांति की शुरूआत की आहट सुनता हूं इनके विचारों में।आज जब धर्म के नाम से तमाम दुकानें चल रही हैं और दोयम दर्जे के बाबा नितांत अबोद्धिक प्रवचनों के जरिए सीरियलों का आनंद बांट रहे हों तब कुछ मौलिक विचार भी सामने आना चाहिए। आज दुनिया में सब जगह मात खा चुका साम्यवाद हिंदुस्तान की जमीन पर अपनी आखिरी सांसे गुन रहा है और अवसरवादी राजनीति ने सभ्यता के सभी प्रतिमान खंडित कर दिए हैं ऐसे विचार शून्य दौर में मौलिक विचारकों की बेहद जरूरत है। पंडित सुरेश नीरव ऐक ऐसे कुशल जौहरी हैं जो लाते हैं तो सिर्फ हीरे ही खोजकर लाते हैं। हमें एक नए हीरे की आमद पर जश्नअंदोज होना चाहिए. आमीन..
अरविंद पथिक
000000000000000000000000000000000000000000000000000000000
![]() |
| रजनीकांत राजू |
मंदिर-मस्जिद से हटकर बात करेंखुशी हुई यह जानकर कि हमारे ब्लाग में प्रशांत योगीजी एक नए सदस्य बने हैं। ऊपर उनका एक कुटेशन भी दिया गया है कि मेरे दोनों हाशों में पत्थर हैं। एक मंदिर के लिए और एक मस्जिद के लिए। और यह भी सपने की बात है। योगीजी को सपने में भी मंदिर-मस्जिद दिखते हैं यह अच्छी बात नहीं है। इन मंदिर-मस्जिदवालों ने ही देश का बंटा ढार किया है। हमें इन लोगों से बचना चाहिए। और एक एसे धर्म की तलाश करना चाहिए जहां इन सी जरूरत ही न रह जाए। बहरहाल एक विचारवान सदस्य हमारे ब्लाग से जुड़े हैं हम भी उनके साथ जुड़ गए हैं। वे कुछ रचनात्मक और यथार्थ मेडीटेशन करें हम उनके साथ हैं। -रजनीकांत राजू
0000000000000000000000000000000000000000000000000000000
संदर्भःप्रशांत योगी-
मुहब्बत हमारा पैगाम है
![]() |
| काज़ी तनवीर |
-काज़ी तनवीर
000000000000000000000000000000000000000000000000000000000




No comments:
Post a Comment