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Tuesday, October 12, 2010

आप सभी को मेरे आध्यात्मिक आमंत्रण

प्रशांत योगी बने जयलोकमंगल के सदस्य
जयलोकमंगल के सभी साथियों को सूचित करते हुए हमें हर्ष हो रहा है कि हमारे ब्लाग परिवार में एक नए सदस्य का इजाफा हुआ है और ये हैं जनाब प्रशांत योगी। आध्यात्मिक अभिरुचियों के घनी प्रशांत योगी भले ही इंजीनियर हों मगर दर्शन इनका पहली प्राथमिकता रही है। जिन दिनों आचार्य रजनीश बेहद परेशानी के दैर से गुदर रहे थे तब योगीजी ने रजनीश अमेरिका में एक पुस्तक लिख कर हंगामा कर दिया था। आजकल आप हिमाचल के धर्मशाला में  यथार्थ मेडीटेशन के नाम से आद्यात्मिक संस्थान का संचालन कर रहे हैं। हमें विश्वास है कि जयलोकमंगल के लिए हमें उनके विचारोत्तेजक आलेख मिलते रहेंगे। स्वागतम..सुस्वागतम..
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अरविंद पथिक
संदर्भः प्रशांत योगी

 एक नए हीरे की आमद
जयलोकमंगल में प्रशांत योगीजी का स्वागत है। उनके विचार पढ़ता रहा हूं। आध्यात्मिक क्रांति की शुरूआत की आहट सुनता हूं इनके विचारों में।आज जब धर्म के नाम से तमाम दुकानें चल रही हैं और दोयम दर्जे के बाबा नितांत अबोद्धिक प्रवचनों के जरिए सीरियलों का आनंद बांट रहे हों तब कुछ मौलिक विचार भी सामने आना चाहिए। आज दुनिया में सब जगह मात खा चुका साम्यवाद हिंदुस्तान की जमीन पर अपनी आखिरी सांसे गुन रहा है और अवसरवादी राजनीति ने सभ्यता के सभी प्रतिमान खंडित कर दिए हैं ऐसे विचार शून्य दौर में मौलिक विचारकों की बेहद जरूरत है। पंडित सुरेश नीरव ऐक ऐसे कुशल जौहरी हैं जो लाते हैं तो सिर्फ हीरे ही खोजकर लाते हैं। हमें एक नए हीरे की आमद पर जश्नअंदोज होना चाहिए. आमीन..
अरविंद पथिक
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रजनीकांत राजू
संदर्भः प्रशांत योगी
मंदिर-मस्जिद से हटकर बात करें
खुशी हुई यह जानकर कि हमारे ब्लाग में प्रशांत योगीजी एक नए सदस्य बने हैं। ऊपर उनका एक कुटेशन भी दिया गया है कि मेरे  दोनों हाशों में पत्थर हैं। एक मंदिर के लिए और एक मस्जिद के लिए। और यह भी सपने की बात है। योगीजी को सपने में भी मंदिर-मस्जिद दिखते हैं यह अच्छी बात नहीं है। इन मंदिर-मस्जिदवालों ने ही देश का बंटा ढार किया है। हमें इन लोगों से बचना चाहिए। और एक एसे धर्म की तलाश करना चाहिए जहां इन सी जरूरत ही न रह जाए। बहरहाल एक विचारवान सदस्य हमारे ब्लाग से जुड़े हैं हम भी उनके साथ जुड़ गए हैं। वे कुछ रचनात्मक और यथार्थ मेडीटेशन करें हम उनके साथ हैं।                                                                                   -रजनीकांत राजू
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                                  संदर्भःप्रशांत योगी-
                                                                   मुहब्बत हमारा पैगाम है
काज़ी तनवीर
प्रशांतजी का खैरमगदम होना चाहिए जयलोकमंगल के कुनबे में एक और शश्सियत शुमार हुई ये जानकर बेहद मसर्रत हुई। और वे लोग जो कि तहजी-बो-अम्न से ताल्लुक रखते हैं उनके जुड़ने का मतलब खास होता है। हम दुआ करते है कि इंशा अल्लाह जनाब योगीजी अपनी खुसूसियत से बागे-ब्लाग को और खुशगवार बनाएंगे। और एक ऐसे मुकाम को तामीर करेंगे जहां फिरकापरस्ती की कोई जगह नहीं होगी। हमारा देश गंगा-जमनी तहजीब का देश है। जहां रहीम और तुसली साथ चलते हैं। मीरा और जायसी एक रंग में रंगते हैं। हमारा पैगाम सिर्फ मुहब्बत है। हम दुनिया की सहसे ऊंची चोटी पर खड़े होकर मुहब्बत को आवाज देते हैं।
                                                                                                                   -काज़ी तनवीर
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