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Friday, November 19, 2010

लोक मंगल परिवार को मेरा प्रणाम
आपके लेख कमाल हैं ओर लेखनी अदभुत!!!
सरस्वती मनो स्वयं आपकी लेखनी से लिखती है. आपकी इस प्रतिभा को मेरा कोटि कोटि प्रणाम. वैसे तो पूरा लेख ही बहुत खूब है
पर इन वाक्यों ने बहुत प्रभावित किया.....

टीवीवंश की नीव रखनेवाले टीवी चौधरी उर्फ रामप्रसाद अब भी इतिहास के स्टूल पर तनकर बैठे हैं। ...
गांव के कई प्रतिभावान छात्र तो परीत्रा में टीवी का आविष्कार किसने किया इसके जवाब में पूरे सम्मान के साथ रामप्रसादजी की ही नाम लिख आते हैं। भले ही उत्तर गलत हो मगर ऐसी गलती जिससे गांव का नाम ऊंचा हो उसे मेधावी छात्र पूरी निष्ठा से निभाने में हिचकते नहीं है । सही जवाब लिखकर वे न तो खुद शर्मिंदा होना चाहते हैं और न कभी गांव को शर्मिंदा करने के मूड में रहते हैं। ...
आजकल पांच हजार एपीसोडवाला सीरियल- सीआईडी देखने में प्राण-पण से जुटे हुए हैं। तमाम सीरियलों के कई पात्र मर चुके हैं, कई पात्र मर-मरकर के जिंदा हो गए हैं पर अपने रामप्रसादजी उन सब को निबटाकर भी नाट आउट हैं। और ईश्वर ने चाहा तो सेंकड़ों सीरियलों को निबटाकर ही रामप्रसादजी की जिंदगी का रिमोट डिस्चार्ज होगा। सीरियलों के बीच विज्ञापनों की तरह यह भी एक अटल सत्य है कि टीवी चौधरी जिस दिन म्यूट पर आ जाएंगे,वह दिन भारत के चैनलों का सबसे ब्लैकेस्ट काला दिन होगा। ...

रामप्रसादजी टीवी उपभोक्ता जगत के अपने गांव स्तर के आदि मानव हैं। उनको अगर कुछ हो गया तो चैनलों के टीआरपी की सांसें उल्टी चलने लगेंगी। हे ऊपरवाले टीवी चौधरी उर्फ रामप्रसादजी को एकताकपूर के सीरियलों की तरह दीर्घायु करना। और उनके गांव को मोहन-जोदड़ो और हड़प्पा के गांव की तरह जमीदोज होने से बचाए रखना। क्योंकि चैधरी के टीवी डिब्बे में ही पूरे गांव के प्राण बसते हैं।

सीरियलों के कबूतर टीवी के डिब्बों में समाते हैं
टीवी खुलते ही कबूतरों के पंख फडफडाते हैं
वो खून भी क्या खून जिसमें टीवी नही बसता
देशभक्त का खून सबसे आज है सस्ता
सस्ती चीज़ आज दिल में नहीं समाती है
टीवी के सिवा दिल को कोई चीज़ नहीं है
सीरियल का कबूतर जब जब करेगा गुटरगूं
नीरव जी का लेख तब तब दिल को जायेगा छू

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