
आदरणीय नीरवजी
आपके व्यंग्य लेखों की हर बार मैंने प्रतिक्रिया दी है,लेकिन श्री प्रशांत योगी ने तो जैसे आपकी पूरी परिभाषा ही दे दी है। मैं आज अपनी प्रतिक्रया में उन्हीं की बात दोहरा रही हूं। क्योंकि उन्होने जितनी सुंदर व्याख्या आप की है किसी भी तरह मैं नहीं कर सकती। आज के आलेख में मुझे नारी सशक्तीकरण की असलियत से रू-ब-रू होने का बेहतर मौका मिला है-
जयजयकारा सुनकर ललकारी देवी जोश में आ गईं। और उनकी ललकार सुनकर कुछ जोशजदा बूढ़ों की आंखों में शरीर का सारा खून निचुड़कर आंसुओं की शक्ल में ललकारी देवी –जैसी वीरांगना को गार्ड आफ आनर देने लगे। ललकारी देवी ने एक बार लचकते हुए और दो बार गुस्से में पैर पटकते हुए कहा- अगर मैंने ममतादीदी, मायावती बहनजी,राबड़ी देवी और सोनियाजी को जाकर बता दिया कि कुछ सिरफरे आपको कमजोर कह रहे हैं, और कमजोर समझकर आपको ताकतवर बनाने की बचकानी हरकत कर

आपको बेहतर और चुटीले व्यंग्य के लिए बधाई..
-डाक्टर प्रेमलता नीलम
0 आजकल भगवानसिंह हंस और मकबूलजी नहीं दिख रहे। क्या बात है। 0 डाक्टर मधु चतुर्वेदी की ग़ज़ल बहुत अच्छी लगी। साधुवाद...
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