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Wednesday, November 10, 2010

श्री प्रशांत योगी ने तो जैसे आपकी पूरी परिभाषा ही दे दी है।




आदरणीय नीरवजी
आपके व्यंग्य लेखों की हर बार मैंने प्रतिक्रिया दी है,लेकिन श्री प्रशांत योगी ने तो जैसे आपकी पूरी परिभाषा ही दे दी है। मैं आज अपनी प्रतिक्रया में उन्हीं की बात दोहरा रही हूं। क्योंकि उन्होने जितनी सुंदर व्याख्या आप की है किसी भी तरह मैं नहीं कर सकती। आज के आलेख में मुझे नारी सशक्तीकरण की असलियत से रू--रू होने का बेहतर मौका मिला है-
जयजयकारा सुनकर ललकारी देवी जोश में आ गईं। और उनकी ललकार सुनकर कुछ जोशजदा बूढ़ों की आंखों में शरीर का सारा खून निचुड़कर आंसुओं की शक्ल में ललकारी देवी
जैसी वीरांगना को गार्ड आफ आनर देने लगे। ललकारी देवी ने एक बार लचकते हुए और दो बार गुस्से में पैर पटकते हुए कहा- अगर मैंने ममतादीदी, मायावती बहनजी,राबड़ी देवी और सोनियाजी को जाकर बता दिया कि कुछ सिरफरे आपको कमजोर कह रहे हैं, और कमजोर समझकर आपको ताकतवर बनाने की बचकानी हरकत कर रहे हैं तो इन सब फ्यूज बल्बों के लाइट जलाने का सपना चकनाचूर हो जाएगा। हम चाहे सरपंच बन जाएं तो भी हम काम नहीं करतीं। हमारे पति ही नौकर की तरह काम करते है। इसमें बुरा भी क्या है। हमारा आयटम है, हम उसे कैसे भी यूज़ करें। कहते हैं कि पंच परमेश्वर होता है,पति भी परमेश्वर होता है। हम इन परमेश्वरों की शक्ति हैं। हम बिना पोस्ट पर रहे भी सुप्रीमो होती हैं। यकीन न हो तो चमनलाल जी जो हमारे कांग्रसी नेता हैं,इन से पूछ लो।
आपको बेहतर और चुटीले व्यंग्य के लिए बधाई..
-डाक्टर प्रेमलता नीलम
0 आजकल भगवानसिंह हंस और मकबूलजी नहीं दिख रहे। क्या बात है। 0 डाक्टर मधु चतुर्वेदी की ग़ज़ल बहुत अच्छी लगी। साधुवाद...
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