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Wednesday, November 10, 2010

रोज़ हम सभी से ऐसे ही रू-ब-रू होती रहें

"ए दिल बता तू किसका है?
किसके लिए धड़कता है ?
किसके सीने में तड़पता है?
बंद हो जाती है जब तेरी धड़कन
कितनी आँखें रुलाता है?
ए दिल बता
तेरा आँखों से क्या नाता है?

 नीरवजी ने घोषणा की थी कि मंजुजी जल्दी ही  ब्लाग पर अवतरित होंगीं । घोषणा का त्वरित असर हुआ और मंजु ऋषि अपनी छोटा-सी मगर संवेदनशील रचना के साथ ब्लाग पर अवतरित हुईं। पहली रचना है ,उनकी यह ब्लाग पर...हम जयलोकमंगल परिवार की ओर से उनका स्वागत करते हैं। और उम्मीद करते हैं कि वो रोज़ हम सभी से  ऐसे ही रू-ब-रू होती रहेंगी।
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0 स्त्री सशक्तीकरण पर पंडितजी का व्यंग्य लाजवाब है।
0 डाक्टर मधु चतुर्वेदी की ग़ज़ल पाएदार है।
0प्रशांत योगीजी के दार्शनिक आलेख प्रेरणादायक हैं।
हीरालाल पांडे

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