पाण्डेयजी! आपकी पोस्ट बेहतरीन है। रसभरी तो है पर रस के साथ उसमें विस्फोटक द्रव्य भी भरे हैं। मुझे तो लगता है कि यह सिर्फ रसभरी ही नहीं बल्कि एक बारूदी सुरंग भी है। आपकी इतनी गहन शोध हिम्मते- तारीफ़ है। कोई नहीं,
हारिए न हिम्मत, बिसारिए न राम।
नीरव सरिता में नहाइए सुबह शाम । । जय हिम्मते-आलम। प्रणाम।
भगवान सिंह हंस
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