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Sunday, November 7, 2010

तम डूबे जंगल में जैसे डूबी हुई मशाल

ब्लॉग के सभी मित्रों को दीपावली की हार्दिक शुभकामनायें। कुछ दिनों से पारिवारिक व्यस्तताओं के कारण ब्लॉग पर हाज़िर नहीं हो सका। दीपावली के मौके पर भई प्रकाश मिश्र के गीत का एक बंद प्रस्तुत है
तम डूबे जंगल में जैसे डूबी हुई मशाल
ऐसे ही रौशनी लुटाये आने वाला साल।
आने वाला साल ग़ज़ल जैसा लगे
जल-क्रीड़ामें मग्न कमल जैसा लगे।
कर्मों से हल कर दे सारे उलझे हुए सवाल
ऐसी रौशनी लुटाए आने वाला साल।
मृगेन्द्र मक़बूल

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