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Sunday, November 7, 2010

इसका मतलब ये तो हरगिज नहीं कि तुम

शेरनी उवाच- 
ठीक है दीवाली का त्योहार है,इसे हँसी-खुशी मनाना चाहिए,लेकिन इसका मतलब ये तो हरगिज नहीं कि तुम रातभर घर से गायब रहो। कहां गुलछर्रे उड़ा रहे थे। और मैं यहां अकेली जंगल में बैठी तुम्हारी बाट जोहती रही। तुम सारे मर्द एक से होते हो.. हैप्पी दिवाली
-प्रस्तुतिःहीरालाल पांडे

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