बहुत दिनों से कार्यक्रम बना रहा था कि प्रशांत योगीजी की सालगिरह पर मैं उनके धर्मशाला स्थित यथार्थ मेडीटेशनसेंटर में बैठकर सालगिरह उनके साथ मनाऊं और उन क्षणों का स्वयं साक्षी पनूं जो उत्सव की सात्विक गंध से महकते हों मगर ्त्यंत अपरिहार्य कारणों से मुझे वृंदावन जाना पड़ा इसलिे चाहकर भी मैं वहां उपस्तित नहीं हो सका मगर मेरी सूक्ष्म आत्मा वहीं है। उन्हीं के साथ,वह इसे महसूस करें..मेरी ईमानदार शुभकामनाएं उनकी दीर्घायु के लिए..
पंडित सुरेश नीरव******************************************************************************
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