पंडित सुरेश नीरवजी,
आपका कथन बिलकुल सही है। आजका आदमी अब कैमरे में भी ऐसा ही आता है। ये हैं कूकरकॉलौनी की रेसीडेंट वेलफेयर एसोसीएशन के अध्यक्ष श्री श्वानप्रसाद नारायण सिंह।
ये आपके विचारों से बहुत खुश हैं। उन्हें खुशी है कि आपने आदमी को सही पहचाना।
आधे-अधूरे लोगों का जमघट है,यह समाज। जहां ना आदमी पूरा आदमी है और ना पूरा कुत्ता। श्वान सिद्धि के मार्ग के पथभ्रष्ट योगी। जो न गृहस्थ हैं न साधु। मौका देखते ही आश्रम में फेमिली बसा लेते हैं। और अधिकारी हैं तो घर बसाने के साथ-साथ स्टेनो के साथ ऑफिस भी बसा लेते हैं। ऐसे ही आधे-अधूरे लोगों से बसी है ये कॉलौनी। जिसकी शौहरत इन इज्जतदार कुत्तों के कारण ही बनी और बढ़ी है। जहां के कुत्ते हैं तो जन्मजात कुत्ते ही मगर उन्होंने आदमियत भी खूब कमाई है। इन कुत्तों की आदमियत ही अब आदमियों की आदमियत नापने का बैरोमीटर बन गई है।ओमप्रकाश चांडाल
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