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Tuesday, December 14, 2010

विचार की निजता


नीरवजी आपने योगीजी के लेख पर जो समीक्षा की है वह ये जताता है कि विचार सार्वजनिक होते भी निजी होता है। और समझदार के लिए इशारा काफी होता है इसे सिद्ध करता है। बधाई
डॉक्टर मधु चतुर्वेदी

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