निश्चित ही घोड़ा एक समझदार जानवर है मगर गधे जब उस पर सवारी करते हैं तो उसका खच्चरीकरण होजाता है। आरक्षित समय का यही कड़वा सच है। पर हम कल्पना कर सकते हैं कि शेर भी घोड़े की सवारी करते हों तो देश का भविष्य कितना स्वर्णिम हो।आपकी कविता के मूड से कतई अलग चित्र आपको सादर भेंट। गिल को बहलाने के लिए खयाल अच्छा है..इन पंक्तियों के लिए आपको बधाई...
लेकिन क्या करे जब उस पर
तब बनना एक खच्चर
विकल्प मिलता है सधाया सधा
जब सवार की ख्वाहिश कुछ हो और इशारे कुछ और
तब घोड़ा भी चलता है खूब अड़ियल चाल
घोड़ों के प्रतीक से व्यवस्था पर अच्छा व्यंग्य किया है। साधुवाद..
पंडित सुरेश नीरव
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