आज ब्लॉग पर श्री प्रशांत योगीजी और आदरणीय विश्वमोहन तिवारीजी ने मेरी ग़जल को लेकर जो मेरी हौसला अफजाही की है उसके लिए मैं आप दोनों महानुभावों का आभारी हूं। आप सभी की दुआओं से आज मैं कटनी के सफर में हूं। यहां प्रकाश प्रलय के संयोजन में होने जा रहे नववर्ष कविसम्मेलन में भाग लेना है। अभी-अभी उनका फोन आया है कि शहर आपका इंतजार कर रहा है। ग्वालियर से जगदीश परमार और मधूलिका सिंह भी संपर्क में हैं। और ग्वालियर स्टेशन पर मिलने के लिए मुस्तैद हैं। उन्हें भी कटनी जाना है।श्री भगवानसिंह हंसजी और हीरालाल पांडेय का भी कृतज्ञ हूं,जिन्होंने मेरी गजल के मुताल्लिक अपने कीमती विचार व्यक्त किये हैं। आप सभी के लिए यह कहना उचित होगा कि एहसान मेरे दिल पे तुम्हारा है दोस्तो,ये दिल तुम्हारे प्यार का मारा है दोस्तो..
पंडित सुरेश नीरव
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