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Monday, December 27, 2010

फर्ज़ धरती ने निभाया फल रहा कोई और है

आदरणीय नीरवजी पालागन।आपके धर्मशाला प्रवास के समाचार पढ़े। हमारी जानकारी में तो आप कल-परसों कटनी और वहां से लौटकर इजिप्ट जा रहे हैं। आपकी यात्राएं सुखद हों। आपकी ग़ज़ल बहुत बढ़िया लगी,खासकर के ये शेर-
आतिशों से मैं घिरा हूं,जल रहा कोई और है
मंजिले मुझको मिलीं पर चल रहा कोई और है

कर भलाई भूल जाना ये जमीं से सीखिए
फर्ज़ धरती ने निभाया फल रहा कोई और है.
हीरालाल पांडेय

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