क्या हम भोगवाद के गुलाम हैं? क्या हम सच्ची प्रगति और समृद्धि नहीं चाहते? प्रगति क्या है? क्या प्रगति केवल बिजली, कपड़े, कार, जूते, शराब, दवाइयां आदि से ही नापी जा सकती है? क्या सुख मापा जा सकता है? क्या भोगवाद तथा अनैतिकता और अपराधों में सीधा या तिरछा सम्बन्ध है?
अच्छे प्रश्न उठायें हैं आदरणीय तिवारी जी ने ! एक और प्रश्न और ......समाधान ?................शायद तिवारी जी अपने अगले आलेख में देंगे ! प्रशांत योगी
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