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Saturday, January 15, 2011

बृहद भरत चरित्र महाकाव्य




राजपथ से चली शवयात्रा। उमड़ा जन समूह बहु मात्रा । ।
चहुँओर नृप जय जयकारा। सत्यप्रतिज्ञ नृपहिं संसारा । ।
राजा दशरथ की शवयात्रा राजपथ से होकर चली। राजा की शवयात्रा को देखने लिए बहुत सारा जनसमूह उमड़ पडा है। चारों ओर जय जयकार हो रहा है। लोग कह रहे हैं कि राजा संसार में बड़े सत्य प्रतिज्ञ थे।
बहु सुन्दर नृप चिता बनायी। चन्दन अगर जन कर सुहायी । ।
बहुरहिं देवदारु जो पायी। सुगन्धित पय दिए छिड़कायी। ।
राजा दशरथ की बहुत सुन्दर चिता बनायी थी। राजा को अर्पण हेतु चन्दन और अगरबत्ती लेकर लोग खड़े हुए थे। उससे उनके हाथ बड़े सुन्दर लग रहे थे। चन्दन और देवदारु की लकड़ी लायी गयी थी। चिता के चारों ओर सुगन्धित जल छिड़वा दिया।
वेदोक्त मन्त्र ऋषि उच्चारे। आहुति देते हैं जन प्यारे। ।
शाश्त्रीय पद्धित से विद्वाना। करहिं जगत बहुत सामगाना। ।
ऋषि वेदोक्त मन्त्रों का उच्चारण कर रहे हैं। नगर के प्रिय लोग आहुति दे रहे हैं। ऐसा लग रहा है कि सारा संसार ही सामगान कर रहा है।
चिता पर रखा तब शव राजा। उद्घोषित नभ जय जय राजा। ।
मुखाग्नि पुत्र भरत ने दीनी। सद वचन दशरथ समीचीनी । ।
जब राजा का शव चिता पर रखा तो राजा कि जय हो, राजा की जय हो के नारों से आकाश गूँज उठा। पुत्र भरत ने राजा के शव को मुखाग्नि दी। सच में राजा दशरथ सतवचन का पालन करने वाले थे।
रचयिता- भगवान सिंह हंस - एम- 09०१३४५६९४९ दिल्ली
प्रस्तुतकर्ता- योगेश विकास

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