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Saturday, January 15, 2011

गीत : विश्वास तुमने दृढ़ किया

विश्वास तुमने दृढ़ किया है
गीत : डा. नागेश पांडेय 'संजय' 

आज फिर विश्वास तुमने दृढ़ किया है।

आज संशय ने हृदय की देहरी पर
बैठकर मुस्कान कुछ ऐसी बिखेरी,
अकंपित लौ नेह की कुछ कँपकपाई
यों लगा जो लड़खड़ाई साध मेरी।
किंतु तुमने भ्रमित मन के कटघरे में
कौंधते हर प्रश्न का उत्तर दिया है।

ठीक समझीं तुम कि मैं डरता बहुत हूँ,
क्या करूँ है चोट खाई बहारों से।
सूर्य से उपहार में मुझको मिला तम,
इसलिए भयभीत रहता सितारों से।
वर्तिका-सी ही सही पर जलीं तो तुम
और उर में ज्योति सागर भर दिया है।

कामनाओं की चदरिया फट न जाए,
 रख दिया था इसलिए उसको तहाकर।
ओढ़ने को था तुम्हारा नाम काफी
फिर रहा था उसे सीने से लगाकर।
किंतु कोरे पत्र पर हस्ताक्षर कर,
मुझे तो तुमने अनोखा वर दिया है।

मुझे तुमसे चाहिए कुछ भी नहीं, सच!
खुश रहो तुम सर्वदा यह कामना है।
हाँ, कभी गिरने लगूँ यदि नेह-पथ से
तो हमारा हाथ तुमको थामना है।
और साथी! मैं गिरूँगा भी नहीं अब,
यह हुनर मुझमें तुम्हीं ने भर दिया है।

परिचय 

डा. नागेश पांडेय 'संजय' 
हिंदी के बाल साहित्यकार , बाल साहित्य समीक्षक एवं कवि ; 
 शिक्षा : एम्. ए. {हिंदी, संस्कृत }, एम्. काम. एम्. एड. , पी. एच. डी. [विषय : बाल साहित्य के समीक्षा सिद्धांत }, स्लेट [ हिंदी, शिक्षा शास्त्र ] ;
 सम्प्रति : प्राध्यापक एवं विभागाद्यक्ष , बी. एड. राजेंद्र प्रसाद पी. जी. कालेज , मीरगंज, बरेली . 

प्रकाशित पुस्तकें

आलोचना ग्रन्थ : बाल साहित्य के प्रतिमान ;
कविता संग्रह : तुम्हारे लिए ;
बाल कहानी संग्रह : १. नेहा ने माफ़ी मांगी २. आधुनिक बाल कहानियां ३. अमरुद खट्टे हैं ४. मोती झरे टप- टप ५. अपमान का बदला ६. भाग गए चूहे ७. दीदी का निर्णय ८. मुझे कुछ नहीं चहिये ९. यस सर नो सर ;
बाल कविता संग्रह : १. चल मेरे घोड़े २. अपलम चपलम ;
बाल एकांकी संग्रह : छोटे मास्टर जी
सम्पादित संकलन : १. न्यारे गीत हमारे २. किशोरों की श्रेष्ठ कहानियां ३. बालिकाओं की श्रेष्ठ कहानियां

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