समय
समय ने देखे हैं कुछ झगडे
एक पीढ़ी के दूसरी पीढ़ी से
जो पनपते हैं
समय में आए अंतराल से
उन झगडों में कोई विषय नहीं होता
कोई दोषी नहीं होता
वो होता है समझ का फेर
सोचने के ढंग में बदलाव
जो लाया होता है समय ने
खुद को बदल कर
समय के बदलने पर
कर लेते हैं हम अपनों से लड़ाई
मन को खट्टा
इस बात से अनभिज्ञ
कि न तो हम बदले हैं
न विचार
न हमारा प्यार
न हमारे सपने
अगर कोई दोषी है
अगर कोई बदला है
तो वो है समय
1 comment:
good one. keep it up
gulshan
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