यह मंच आपका है आप ही इसकी गरिमा को बनाएंगे। किसी भी विवाद के जिम्मेदार भी आप होंगे, हम नहीं। बहरहाल विवाद की नौबत आने ही न दैं। अपने विचारों को ईमानदारी से आप अपने अपनों तक पहुंचाए और मस्त हो जाएं हमारी यही मंगल कामनाएं...
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Monday, January 17, 2011
मन का मन से नमन
माफ़ी चाहती हूँ अपनी अनुपस्तिथि के लिए. कार्यालय में कार्य अधिक हो जाने की वजह से जुड नहीं पा रही थी. प्रशांत योगी जी ने लिखने के लिए फिर से प्रेरित कर दिया है. प्रशांत योगी जी के लेख बहुत अच्छे लगते हैं. मन करता है उन्हें उनके हर लेख पर बधाई दूं. श्री भगवन सिंह हंस जी का भरतचरित महाकाव्य भी बधाई का पात्र है. डा. नागेश पांडेय 'संजय' का गीत बहुत अच्छा लगा.
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