Search This Blog

Friday, January 7, 2011

कविता "क्या कुछ ऐसा हो सकता है ?

एक नया प्रयोग :-
कविता "क्या कुछ ऐसा हो सकता है ?
बीते दिन तो लौट के आयें
पर वे भोगे दर्द न लायें

बीते दिन जब लौट के आयें
यादों की गठरी ले आयें
मार चौकड़ी आँगन बैठें
बीती बातों को दोहरायें
फिर कुछ रात पुरानी आयें
रंग बिरंगे सपने लायें
आयें फिर कुछ भोर सुहानी
संग में इन्द्रधनुष ले आयें
क्या कुछ ऐसा हो सकता है ?

बीते मौसम जब जब आयें
गुजरे पल कुछ साथ में लायें
वे पल जिनमें बसी जिंदगी
सब के सब हमको दे जाएँ
यदि ऐसा संभव हो जाए
तो कुछ और बरस हम जीलें
यादों की मदिरा का प्याला
एक घूँट में सारा पीलें
यह जग फिर हम कभी न छोड़ें
चाहे परियां लेने आयें
क्या कुछ ऐसा हो सकता है ?
बी एल गौड़
चाहे प्रिआं

No comments: